*ऊँ श्री ब्रह्मानन्दाय नम:।*
दुनियाँ में जब सभी पशु,पक्षी,जीव-जन्तु आदि एक हो सकते हैं तब हमारी लोधी जाति के लोग क्यों नहीं संगठित हो सकते हैं? कौए,भालू,बन्दर,भेंड़ और बकरियों जैसे सब जानवर संगठित हो जाते हैं। कौआ को देखिये पक्षी जाति में सबसे घृणित माना जाता है,पर चालाक बहुत होता है।कौआ का बच्चा यदि घोंसले से गिर जाये या कोई उसे उठाकर ले जाने की कोशिश करे तो किसी की हिम्मत नहीं कि उठाकर ले जा सके।अचानक हज़ारों की संख्या में कौए इकट्ठे हो जायेंगे और काँव काँव की आवाज़ करते हुए उस आदमी के ऊपर चिल्लाएँगे,अपनी चोंच मार मार कर उस आदमी को बेहाल कर देंगे और उससे अपना बच्चा छुड़ाकर ही दम लेंगे।इतना ज़बरदस्त संगठन है उनमें..!
*संगठित होकर देश के लोगों ने आजादी प्राप्त की।भगवान राम ने बन्दर,भालुओं की संगठित सेना के बल पर रावण पर विजय प्राप्त की।संगठन की शक्ति व संगठन के लाभों से तो सब परिचित ही हैं;तब एक हो जायें व अपने भाग्य का स्वयं निर्धारण करें।*
*सब जानते हैं कि एक बात को अकेला आदमी कहे तो जल्दी सुनवाई नहीं होती;लेकिन उसी बात को जब सब मिलकर कहते हैं तब जल्दी सुनवाई हो जाती है।एकता में कितना प्रभाव है? इसलिए अपनी,अपनी जाति व देश की सुरक्षा के लिए एक हो जायें,संगठन में सभी का उद्धार हो सकता है।*
*लोधी समाज संगठित कैसे हो; इसी उद्देश्य के निहित मूल अवधारणा (basic concept) का निर्धारण व क्रियान्वयन करने की अत्यन्त आवश्यकता है।आपने देखा है कि समाज का कोई भी संगठन हो या समाज के किसी भी संगठन का कोई पदाधिकारी या चाहे भारत सरकार में बड़ी से बड़ी सेवा का सबसे बड़ा अधिकारी ही क्यों न हो,लोधी समाज में पूर्ण स्वीकार्यता किसी की भी नहीं है।तब इनमें से कोई भी लोधी समाज की एकता का सूत्रधार कैसे हो सकता है? क्या लोधी समाज को परमपूज्य स्वामी ब्रह्मानन्द महाराज जी के अतिरिक्त अन्य कोई भी व्यक्तित्व पूर्णत: स्वीकार्य है?*
*प्राय: यह विवाद का बिषय बना रहता है कि हमारी लोधी जाति शूद्र वर्ण में है या क्षत्रिय वर्ण में।सच्चाई कुछ भी हो ;लेकिन हम तर्क के आधार पर क्षत्रिय होने का दम्भ तो करते रहते हैं;लेकिन सच यह है कि ब्राह्मण,ठाकुर या सवर्ण जाति के लोग कभी लोधियों को क्षत्रिय नहीं मानते हैं।*
*सिक्खघर्म के बारे में हम सब जानते हीं हैं कि गुरू नानकदेव द्वारा इस पन्थ की स्थापना हुई थी।आप सिक्ख पन्थ के लोगों को वर्ण व्यवस्था के अनुसार किस वर्ण में रखेंगे? गुरु नानकदेव से जुड़ने वाले ये सभी तो हिन्दू ही थे,उनमें कोई ब्राह्मण होगा,कोई क्षत्रिय होगा,कोई वैश्य होगा और कोई शूद्र;लेकिन गुरू नानकदेव से जुड़ने के बाद सभी सिक्ख हो गये, सबके वर्ण ख़त्म हो गये।अब सिक्ख पन्थ के लोग वर्ण व्यवस्था से अलग हैं।*
*ठीक ऐसे ही मानवरत्न त्यागमूर्ति स्वामी ब्रह्मानन्द महाराज जी की उच्च बिचारधारा से जुड़कर जाति से ग्रसित आपकी सारी हीनभावना (inferiority complex) ख़त्म हो जायेगी।लोधी समाज के लिए आपके पास यही सर्वोत्तम विकल्प है।इसलिए आगे बढ़ें और परमपूज्य स्वामी जी से जुड़ें।पूरे देश में संख्या के हिसाब से लोधी जाति के लोग डेढ़ करोड़ से ज्यादा ही होंगे।एकता के बिना आपका बजूद अब तक महत्वहीन ही तो रहा है;लेकिन जब स्वामी जी के माध्यम से आपस में जुड़ेंगे तभी आप शक्तिशाली बनेंगे।*
*इसलिए आप स्वयं भी अपने समाज के गौरव व महान संत परमपूज्य स्वामी ब्रह्मानन्द महाराज जी की उच्चतम बिचारधारा से जुड़ें व समाज को जोड़ने का पुनीत कार्य करें;क्योंकि परमपूज्य स्वामी जी की बिचारधारा से जुड़ने के बाद सभी को शाँति व आनन्द की अनुभूति के साथ-साथ आपको सभी भौतिक व आध्यात्मिक शक्तियाँ भी उपलब्ध होंगी।परमपूज्य स्वामी जी महान संत थे।अवतारों व संतों की बिचारधारायें सदैव समाज का सर्वोत्तम मार्गदर्शन करती रहीं हैं।*
*इसलिए समाज को एकता के सूत्र में बाँधने व मार्गदर्शन करने के लिए वर्तमान में उपलब्ध यह सर्वोत्तम अवधारणा (concept) है।*
*मेरे सजातीय भाईयो एवं बहनों,सोये रहोगे कब तक?*
*जागो जगाओ सबको..!*
*संघे शक्ति: कलौयुगे।*
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