दृढ़ निश्चय व अटूट विश्वास हो तो सफलता अवश्य मिलती है – डॉ0 विष्णु राजपूत
डॉ. राजपूत का जन्म उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मल्लावां तिर्वा क्षेत्र के गुलाब पुरवा में हुआ और उन्होंने माध्यमिक-पूर्व माध्यमिक शिक्षा कन्नौज से प्राप्त की। इसके बाद कृषि से स्नातक (बी.एससी कृषि) व परास्नातक (एम.एससी कृषि, चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर) भारत, पीएचडी (चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज- बीजिंग) चीन और पोस्ट-डॉक्टर (साउदर्न फेडरल यूनिवर्सिटी), रूस से की। जहां यह क्षेत्र हरदोई का अत्यंत पिछड़े क्षेत्र में से एक है और बुनियादी सुविधाओं से पूर्णतयः वंचित, अंधविश्वास में जकड़ा है। ऐसे में विदेश से उच्च शिक्षा ग्रहण करना और विदेश में महत्वपूर्ण विषय पर शोध कर विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बनाना कोई सपना से कम नहीं था। कहते है कि दृढ़ निश्चय व अटूट विश्वास हो तो सफलता अवश्य मिलती है, ऐसा ही कुछ हुआ उनके साथ।
उन्होंने बताया की सही मार्गदर्शन न मिलने की वजह से उन्हें बहुत मुश्किलो का सामना करना पड़ा। किन्तु हर न मानना व कठिन परिश्रम ही उनको सफलता की ओर ले गया।
वर्तमान में डॉ. राजपूत नैनो कणों के विभिन्न क्षेत्र में बढ़ते उपयोग से मानव स्वास्थ्य व पौधों पर होने वाले प्रभाव को बारीकी से जानने की और उसका सही उपयोग के लिए रूस में शोध कर रहे है और अभी तक ‘84‘ से भी ज्यादा शोधपत्र “जिसमे की अनुसन्धान किताबे, चैपटर्स, पॉपुलर आर्टिकल्स, कॉनफेरेन्स पेपर्स आदि सम्मिलित है” प्रकाशित किये है। उनके शोध कार्य भारत के कई लोकप्रिय समाचार पत्र/पत्रिका (विज्ञान प्रगति, विज्ञान-प्रसार- इंडिया साइंस वायर) के साथ-साथ रूसी समाचार (जीवन और विज्ञान) पत्रों में भी प्रकाशित हो रहे व चुके है। रूस जाने से पहले, डॉ. राजपूत भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर, सेंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी, हिसार, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल, शिनजियांग इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एंड ज्योग्राफी, चीन में शोध कार्य कर चुके है। डॉ राजपूत को 12 वर्ष से अधिक का शोध अनुभव है। साल 2019 के लिए “एकेडमी ऑफ बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी“, साउथर्न फ़ेडरल यूनिवर्सिटी, रूस द्वारा शिक्षण व शोध में प्रसंसनीय कार्य के लिए प्रशस्तिपत्र दिया गया।
डॉ. विष्णु राजपूत द्वारा एक वेब-साइट http://sciencoholic.com/ का प्रबंधन किया जा रहा है जिसका का उद्देश्य विज्ञान में हो रहे अनुसंधानों व पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण तथा समसामयिक विषयो पर रुचिकर एवं सरल भाषा में लिखे आलेखों को आम जनता व विद्यार्थियों तक पहुंचना है।
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सही मार्गदर्शन व सहयोग मिले तो हर मुश्किल आसान हो सकती है। परिस्थितियां कैसी भी हो किन्तु बच्चों को पढ़ने का पूरा अवसर देना चाहिए ताकि वो अपने सपनो की दुनिया बना सके। हमें अपने सामाजिक वातावरण से थोड़ा बाहर निकल कर अलग नये परिदृश्य व सामाजिक क्रियाकलापो को भी देखना चाहिए जो नई सोच विकसित करने के लिए बहुत ज़रूरी है। शिक्षा सामाजिक जीवन को बेहतर बनाने के साथ-साथ अच्छा इंसान बनने के लिए भी बहुत जरुरी है।
डॉ. राजपूत का जन्म उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मल्लावां तिर्वा क्षेत्र के गुलाब पुरवा में हुआ और उन्होंने माध्यमिक-पूर्व माध्यमिक शिक्षा कन्नौज से प्राप्त की। इसके बाद कृषि से स्नातक (बी.एससी कृषि) व परास्नातक (एम.एससी कृषि, चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर) भारत, पीएचडी (चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज- बीजिंग) चीन और पोस्ट-डॉक्टर (साउदर्न फेडरल यूनिवर्सिटी), रूस से की। जहां यह क्षेत्र हरदोई का अत्यंत पिछड़े क्षेत्र में से एक है और बुनियादी सुविधाओं से पूर्णतयः वंचित, अंधविश्वास में जकड़ा है। ऐसे में विदेश से उच्च शिक्षा ग्रहण करना और विदेश में महत्वपूर्ण विषय पर शोध कर विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बनाना कोई सपना से कम नहीं था। कहते है कि दृढ़ निश्चय व अटूट विश्वास हो तो सफलता अवश्य मिलती है, ऐसा ही कुछ हुआ उनके साथ।
उन्होंने बताया की सही मार्गदर्शन न मिलने की वजह से उन्हें बहुत मुश्किलो का सामना करना पड़ा। किन्तु हर न मानना व कठिन परिश्रम ही उनको सफलता की ओर ले गया।
वर्तमान में डॉ. राजपूत नैनो कणों के विभिन्न क्षेत्र में बढ़ते उपयोग से मानव स्वास्थ्य व पौधों पर होने वाले प्रभाव को बारीकी से जानने की और उसका सही उपयोग के लिए रूस में शोध कर रहे है और अभी तक ‘84‘ से भी ज्यादा शोधपत्र “जिसमे की अनुसन्धान किताबे, चैपटर्स, पॉपुलर आर्टिकल्स, कॉनफेरेन्स पेपर्स आदि सम्मिलित है” प्रकाशित किये है। उनके शोध कार्य भारत के कई लोकप्रिय समाचार पत्र/पत्रिका (विज्ञान प्रगति, विज्ञान-प्रसार- इंडिया साइंस वायर) के साथ-साथ रूसी समाचार (जीवन और विज्ञान) पत्रों में भी प्रकाशित हो रहे व चुके है। रूस जाने से पहले, डॉ. राजपूत भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर, सेंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी, हिसार, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल, शिनजियांग इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एंड ज्योग्राफी, चीन में शोध कार्य कर चुके है। डॉ राजपूत को 12 वर्ष से अधिक का शोध अनुभव है। साल 2019 के लिए “एकेडमी ऑफ बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी“, साउथर्न फ़ेडरल यूनिवर्सिटी, रूस द्वारा शिक्षण व शोध में प्रसंसनीय कार्य के लिए प्रशस्तिपत्र दिया गया।
डॉ. विष्णु राजपूत द्वारा एक वेब-साइट http://sciencoholic.com/ का प्रबंधन किया जा रहा है जिसका का उद्देश्य विज्ञान में हो रहे अनुसंधानों व पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण तथा समसामयिक विषयो पर रुचिकर एवं सरल भाषा में लिखे आलेखों को आम जनता व विद्यार्थियों तक पहुंचना है।
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