Friday, January 31, 2020

वैसे तो ज्यादातर इस ग्रुप के मेम्बर्स कृषि विज्ञान से ही जुड़े हुए है फिर भी मेरा यह आलेख उन अभिभावकों के लिए लाभदायक हो सकता है जिनके बच्चे 12वी पास करने वाले है।

आज समाज के ज्यादातर संगठन आईएएस, पीसीएस, व मेडिकल की तरफ समाज के बच्चो का मारगदर्शन कर रहे। निसंदेह यह सराहनीय है किन्तु लोधी समाज ग्रामीण अंचल में बहुतायत है और आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। जो प्रशासनिक सेवाओं के एग्जाम की लंबे समय तक तैयारी नहीं कर सकते और वहीं मेडिकल की पढ़ाई की भारीभरकम फीस जमा करने में भी असमर्थ है।

ऐसे में समाज के बच्चो को कम समय में अच्छी जॉब मिल जाए तो वह आने वाली जेनरेशन को बेहतर विकलप दे पाएंगे।

👉 यह हो सकता है सुनहरा विकल्प

कृषि में पढ़ाई अत्याधिक प्रतिष्ठित प्रोफेशनल कोर्सेज में से माना जाता है और इस क्षेत्र में विद्या्थियों ने पढ़ाई कर देश की उन्नति में अभूतपूर्व योगदान दिया है। आज बढ़ती जनसंख्या को सुचारू रूप से खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराना देश के सामने बहुत बड़ी चुनौती बन रहा है।  साथ ही घटती व प्रदूषित होती कृषि योग्य मृदा दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुए है ऐसे में अगर ज्यादा कृषि विषयों से जुड़े विशेषज्ञ निकले ग जो देश के सर्वांगीण विकास में भारी योगदान दे सकते है। गांव-देहात के बच्चो के लिऐ यह कोर्सेज और भी आसान रहते है और वे बहुत अच्छा परफॉर्मेंस भी देते है। क्योंकि उन्हें बहुत सारी जानकारी पहले से ही होती है। आज ज्यादातर कृषि वैज्ञानिक/ विशेषज्ञ ग्रामीण क्षेत्र से है। जिन्होंने अतुलनीय कृषि उत्थान के कार्य किए है।

कृषि एक ऐसा विषय है अगर कठिन परिश्रम से कोर्सेज किये जाए तो सत प्रतिशत जब्स के चांस रहते है। इसके अलवा आज कृषि स्वरोजगार का अच्छा स्रोत बनता जा रहा है। कई नौकरी पेशा लोग आज नौकरी छोड़ कर आधुनिक कृषि करने आगे आ रहे है और कई गुना ज्यादा टर्नओवर प्रति वर्ष ले रहे है। अगर आधुनिक तरीके से लाभदायक फसलों की खेती की जाए तो अत्याधिक लाभ लिया जा सकता है। आज आए दिन हम सक्सेस फरामर्स स्टोरी पढ़ते है जो इसके लाभ के उदाहरण है।

किन्तु कृषि जोत का आकार छोटा होना, नई तकनीकि का उपयोग न कर पाना, प्राकृतिक आपदाएं, समय पर खाद बीज का न मिलना, विप्रणन की सुचारू न होना, एक ही तरह की फसलों का ज्यादा क्षेत्र में बुवाई करना, फसलों का उचित मूल्य न मिलना, दलाल प्रथा का अंत न हो पाना और सरकार का उदासीन रवैया के चलते इस व्यवसाय में लोगो व छात्रों की रुचि घट रही है जो अत्याधिक चिंता का विषय है।

👉 यूपी के लिए फॉर्म आ चुके है अप्लाई करवाए।

👉 कृपया यह आलेख समाज के अन्य भाइयों तक जरुर पहुंचाए

कृषि से जुड़े बहुत सारे आलेख हिंदी में मेरी वेबसाइट sciencoholic.com पर जा कर पढ़ सकते है।

Regards
Dr Vishnu Rajput
M.Sc.Ag, PhD, PDF
Sfedu, Russia

क्या है क्यों हो सकते छोटी जोत वाले किसानों के लिए लाभकारी


 विकासशील देशों में लगभग 500 मिलियन से भी छोटे खेत है और 80 प्रतिशत से अधिक भोजन का उत्पादन करते हैं। दुनिया भर में भोजन की मांग 2050 तक 50 प्रतिशत तक और बढ़ जाएंगी, जो पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में छोटे किसनो के लिए क्रॉप-सेंसर तकनिकी बेहतर साबित हो सकती है। जिससे की वे फसल की उर्वरक आवश्यकताओं की गणना सही-सही करने में सक्षम होंगे। उर्वरकों और कीटनाशकों का कृषि में प्रभावी अनुप्रयोग एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, खासकर ये निर्धारित करना कि उर्वरक विभिन्न फसलों में कब और किस मात्रा में प्रयोग किया जाये कि सबसे अच्छे परिणाम मिले।
पढ़े 👉https://sciencoholic.com/crops-sensor-modern-agriculture-13


Wednesday, January 29, 2020

Urgent required

Urgent Opening "Sr. Engineer/Asst. Manager Maintenance (Robotics and PLC)" Manesar Location.


Exp.- 3 to 8 Years.

Salary:- 45 to 50K Per month.

Education:- Diploma and B.tech in Electrical/ Electronic/ Mechanical.

Job Description:- Experties in Installation, Commissioning and Troubleshooting of Fanuc Oi-TF, Siemens 840DSL CNC Systems, Yashkawa Robots and KUKA Robot. Knowledge of Programming and Ladder Logic. Knowledge of PLC based machine with hand on experience on logic writing of Mitsubishi, Allen Bradley, Orman PLC'S. Experties in Robot teaching and program modification. Understanding of selecting BOM for machine modification. Troubleshooting of Hydraulic and Pneumatic based machines. Understanding of Machining part program- including M-CODES and G-CODES.


For more details call & submit your CV in this address, and forward your known fellow
Mob.- 9799786468
Mail:-deshraj@saiplacement.co.in, deshrajkhoiya@gmail.com

Tuesday, January 28, 2020

दृढ़ निश्चय व अटूट विश्वास हो तो सफलता अवश्य मिलती है – डॉ0 विष्णु राजपूत

दृढ़ निश्चय व अटूट विश्वास हो तो सफलता अवश्य मिलती है – डॉ0 विष्णु राजपूत


सही मार्गदर्शन व सहयोग मिले तो हर मुश्किल आसान हो सकती है। परिस्थितियां कैसी भी हो किन्तु बच्चों को पढ़ने का पूरा अवसर देना चाहिए ताकि वो अपने सपनो की दुनिया बना सके। हमें अपने सामाजिक वातावरण से थोड़ा बाहर निकल कर अलग नये परिदृश्य व सामाजिक क्रियाकलापो को भी देखना चाहिए जो नई सोच विकसित करने के लिए बहुत ज़रूरी है। शिक्षा सामाजिक जीवन को बेहतर बनाने के साथ-साथ अच्छा इंसान बनने के लिए भी बहुत जरुरी है।



डॉ. राजपूत का जन्म उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के मल्लावां तिर्वा क्षेत्र के गुलाब पुरवा में हुआ और उन्होंने माध्यमिक-पूर्व माध्यमिक शिक्षा कन्नौज से प्राप्त की। इसके बाद कृषि से स्नातक (बी.एससी कृषि) व परास्नातक (एम.एससी कृषि, चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर) भारत, पीएचडी (चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज- बीजिंग) चीन और पोस्ट-डॉक्टर (साउदर्न फेडरल यूनिवर्सिटी), रूस से की। जहां यह क्षेत्र हरदोई का अत्यंत पिछड़े क्षेत्र में से एक है और बुनियादी सुविधाओं से पूर्णतयः वंचित, अंधविश्वास में जकड़ा है। ऐसे में विदेश से उच्च शिक्षा ग्रहण करना और विदेश में महत्वपूर्ण विषय पर शोध कर विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बनाना कोई सपना से कम नहीं था। कहते है कि दृढ़ निश्चय व अटूट विश्वास हो तो सफलता अवश्य मिलती है, ऐसा ही कुछ हुआ उनके साथ।

उन्होंने बताया की सही मार्गदर्शन न मिलने की वजह से उन्हें बहुत मुश्किलो का सामना करना पड़ा।  किन्तु हर न मानना व कठिन परिश्रम ही उनको सफलता की ओर ले गया।



वर्तमान में डॉ. राजपूत नैनो कणों के विभिन्न क्षेत्र में बढ़ते उपयोग से मानव स्वास्थ्य व पौधों पर होने वाले प्रभाव को बारीकी से जानने की और उसका सही उपयोग के लिए रूस में शोध कर रहे है और अभी तक ‘84‘ से भी ज्यादा शोधपत्र “जिसमे की अनुसन्धान किताबे, चैपटर्स, पॉपुलर आर्टिकल्स, कॉनफेरेन्स पेपर्स आदि सम्मिलित है” प्रकाशित किये है। उनके शोध कार्य भारत के कई लोकप्रिय समाचार पत्र/पत्रिका (विज्ञान प्रगति, विज्ञान-प्रसार- इंडिया साइंस वायर) के साथ-साथ रूसी समाचार (जीवन और विज्ञान) पत्रों में भी प्रकाशित हो रहे व चुके है। रूस जाने से पहले, डॉ. राजपूत भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर, सेंटर फॉर प्लांट बायोटेक्नोलॉजी, हिसार, केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल, शिनजियांग इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एंड ज्योग्राफी, चीन में शोध कार्य कर चुके है। डॉ राजपूत को 12 वर्ष से अधिक का शोध अनुभव है। साल 2019 के लिए “एकेडमी ऑफ बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी“, साउथर्न फ़ेडरल यूनिवर्सिटी, रूस द्वारा शिक्षण व शोध में प्रसंसनीय कार्य के लिए प्रशस्तिपत्र दिया गया।

डॉ. विष्णु राजपूत द्वारा एक वेब-साइट http://sciencoholic.com/ का प्रबंधन किया जा रहा है जिसका का उद्देश्य विज्ञान में हो रहे अनुसंधानों व पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण तथा समसामयिक विषयो पर रुचिकर एवं सरल भाषा में लिखे आलेखों को आम जनता व विद्यार्थियों तक पहुंचना है।

http://sciencoholic.com/

Tuesday, January 21, 2020

उ.प्र. के उत्तरी भाग , रुहेलखंड के बरेली जिले के आंवला में लक्ष्य मिशन की शुरुआत।

ॐ श्री ब्रह्मानंदाय नमः



उ.प्र. के उत्तरी भाग , रुहेलखंड के बरेली जिले के आंवला में जाकर वहां पर उपस्थित लोधी गेस्ट हाउस में वहां के सामाजिक व्यक्तियों के साथ लक्ष्य की कार्यशैली, लक्ष्य के मिशन, सामाजिक चिंतन, समाज में शिक्षा का महत्व, समाज में रोजगार का महत्व और किस प्रकार समाज के बच्चों को शिक्षित किया जाए उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करवाई जाए समाज के हर गरीब तक शिक्षा को पहुंचाया जाए और वर्तमान समय में जो मूलभूत सुविधाएं हैं उन सब का लाभ दिलाया जाए समाज के युवाओं को किस प्रकार रोजगार और स्वरोजगार के लिए आकर्षित किया जाए समाज में महिलाओं की शिक्षा रोजगार और उन्हें हर क्षेत्र में आगे आने के लिए किस प्रकार कार्य किया जाए ऐसे कई मुद्दों पर माननीय राष्ट्रीय संयोजक लक्ष्य श्री अमरपाल सिंह लोधी जी ने चर्चा की और उत्तरी उत्तर प्रदेश में लक्ष्य का पहला कार्यक्रम था भविष्य में उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में लक्ष्य का विस्तार किया जाएगा और जिस प्रकार बुंदेलखंड मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लक्ष्य पूर्ण रूप से सक्रिय है और समाज को शिक्षा रोजगार और ऐसे अन्य क्षेत्र जो समाज को एक नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए कार्य कर रहा है उसी प्रकार उत्तरी भाग में भी कार्य किया जाएगा माननीय राष्ट्रीय संयोजक अमरपाल सिंह लोधी जी का मुख्य उद्देश्य समाज को शिक्षा रोजगार के अलावा समाज के युवाओं को नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करना और उनको आगे आकर किस प्रकार नेतृत्व करना चाहिए उस पर जोर देना चाहे समाज का पुरुष वर्ग या महिला वर्ग सभी को आगे आकर नेतृत्व करना चाहिए यही राष्ट्रीय संयोजक जी की इच्छा है और उनका सपना है कि उनका समाज शिक्षित हो रोजगार बाला हो कोई भी युवा बेरोजगार ना रहे और युवा आगे आकर नेतृत्व करें...




 कल के कार्यक्रम में शामिल होने वाले लक्ष्य के सभी स्वयं सेवकों और सामाजिक व्यक्तियों का आभार!


लक्ष्य स्वयंसेवक.....
लोधी नितेश राजपूत ✍️✍️✍️

मै कमिश्नर साहब को अपना आदर्श कियों मानता हूं ?

मै कमिश्नर साहब को अपना आदर्श कियों मानता हूं ???????आदरणीय अमर पाल जी लोधी समाज के युवकों को  लक्ष्य निर्धारित कर शिक्षा का सही लाभ प्रदान करने की दिशा दे रहे हैं जिसके कारण हमारे समाज के बच्चों को शिक्षा पाकर भी बेरोजगार नहीं भटकना पड़ेगा, इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने के पश्चात अनेक युवाओं को यही समझ में नहीं आता है कि वह कैरियर की कौन सी लाइन चुने जिससे उन्हें शिक्षा का सही उपयोग किया जा सके।


भुवनेश सिंह लोधी लक्ष्य सेवक की कलम से......✍✍ कारण एक हो तो बताए कारण एक नहीं अनेक है अनन्त ........

1. उनके सुख के त्याग को देखकर

2. शिक्षा के मुहिम को आगे ले जाने के कारण

3. सबसे महत्वपूर्ण स्वामी जी के द्वारा देखा सपने को साकार करने के कारण

4. गांव को सीधे लक्ष्य जोड़ने के कारण गरीब बच्चो को मदद करना

5. राजनीति से दूर रह कर शिक्षा की पुख्ता मुहिम के कारण

6. सभी को सम्मान दिए जाने पर

7. पूरी टीम ऐसी बनाई ही जिसमें सभी साहब की विचार धारा का अनुसरण करते हैं

8. रोजगर सम्बन्धी कार्य

9. समाज के महापुरुषों को सर्वाधिक सम्मान दिलाने के लिए जागरूक करना

10. लाइव सेशन के माध्यम से शिक्षा से संबंधित सुझाव

11. आईएएस अधिकारी, पीसीएस अधिकारी की संख्या को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास
जैसे मुफ्त कोचिंग इत्यादि

ये तो कुछ भी नहीं है साहब के कार्यों का वर्णन नहीं कर पाऊंगा

Monday, January 20, 2020

समाज में राष्ट्रीय संयोजक जी की छवि...



 #IRS_AMARPAL_SINGH

I=Indian(भारतीय)
R=Revenue(राजस्व)
S=Service(सेवा)

A=Administrator(प्रशासक)
M=Monotheism( एकेश्वरवाद ी)
A=Articulate(कुशल वक्ता)
R=Representative(व्यक्ति,वर्ग का प्रतिनिधि)
P=Philanthropist(परोपकारी व्यक्ति)
A=Aim(लक्ष्य)
L=Leader(नेतृत्व कर्ता)

S=Socialize(सामाजिक बनने की शिक्षा देना)
 I=Intellectual(बुद्धिजीवी)
N=Nationalist(राष्ट्रवादी व्यक्ति)
G=Great(महान)
H=Humble(विनम्र)

जी के श्री चरणों में शत शत नमन.....🙏🙏🙏

Sunday, January 19, 2020

अशिक्षा पर हुया प्रहार......

होनहारो को निशुल्क सुविधा मुहैया कराएगा लक्ष्य

आज लक्ष्य समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम चलो गांव की  और शिक्षा की अलख जगाने के अंतर्गत ग्राम नगला हमीर ब्लॉक सकीट जिला एटा में आयोजित किया गया जिसमें बच्चों महिलाओं पुरुषों में करा कार्यक्रम के प्रति उत्साह देखने को मिला कार्यक्रम में राष्ट्रीय संयोजक लक्ष्य श्री अमरपाल सिंह लोधी जी ने  फोन के माध्यम से  समाज को अशिक्षा अखंड पाखंड अंधविश्वास के दूर रहकर बच्चों को शिक्षित करने के प्रयास पर  जागरूक किया गया।
 अन्य वक्ताओं ने  बच्चों को  शिक्षित करने के लिए  अभिभावकों से  सहयोग करने की और जागरूक होने की  अनुरोध किया  तथा गांव में सभी अभिभावकों ने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी अपनी जिम्मेदारी निभाने का वादा किया और शपथ  ली।नगला हमीर के लोगों का कहना था कि इस प्रकार के कार्यक्रम समाज में होते रहने चाहिए। तथा उपस्थित सभी बच्चों को लक्ष्य एटा ने 433 पुस्तकों का वितरण कराया ।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व में प्रयासरत रहे श्री रविंद्र कुमार वर्मा रवेंद्र जी रूपेंद्र कुमार वर्मा संजीव लोधी की मेहनत को लक्ष्य एटा आभारी है कि उन्होंने आज कार्यक्रम के सफल बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत की और समाज उनके इस पुनीत कार्य के लिए ऋणी रहेगा।

कार्यक्रम में आए मुख्य अतिथि श्री आरसी वर्मा जी प्रांतीय उपाध्यक्ष लक्ष्य, ने लक्ष्य के उद्देश्यों से समाज को जागरूक किया
 श्री हरिओम वर्मा श्री पद्मेश कुमार जी  सौरभ कुमार अनुभव जी आकाश वर्मा अमित राजपूत सहित समस्त लक्ष्य के स्वयंसेवक और गांव के लोग मौजूद रहे सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद आगे इसी प्रकार सामाजिक तौर पर अशिक्षा को खत्म करना है और धीरे-धीरे लोगों के विचार हमारी भावनाओं के प्रति समर्थन में आ रहे हैं और मैं समाज के सभी बुद्धिजीवियों से अनुरोध करता हूं कि आप लोग भी अशिक्षा और अंधविश्वास की लड़ाई में हमारा साथ दें। और भी बुद्धिजीवी वर्ग जो अपने अपने गांव इस तरह के शैक्षिक जागरूकता कार्यक्रम करते रहे लक्ष्य एटा आपके साथ हैं।

अजय कुमार 
जिला अध्यक्ष 
लक्ष्य एटा
9536172301

क्यों संगठित नहीं हो सकते लोधी जाति के लोग.?

*ऊँ श्री ब्रह्मानन्दाय नम:।*

दुनियाँ में जब सभी पशु,पक्षी,जीव-जन्तु आदि एक हो सकते हैं तब हमारी लोधी जाति के लोग क्यों नहीं संगठित हो सकते हैं? कौए,भालू,बन्दर,भेंड़ और बकरियों जैसे सब जानवर संगठित हो जाते हैं। कौआ को देखिये पक्षी जाति में सबसे घृणित माना जाता है,पर चालाक बहुत होता है।कौआ का बच्चा यदि घोंसले से गिर जाये या कोई उसे उठाकर ले जाने की कोशिश करे तो किसी की हिम्मत नहीं कि उठाकर ले जा सके।अचानक हज़ारों की संख्या में कौए इकट्ठे हो जायेंगे और काँव काँव की आवाज़ करते हुए उस आदमी के ऊपर चिल्लाएँगे,अपनी चोंच मार मार कर उस आदमी को बेहाल कर देंगे और उससे अपना बच्चा छुड़ाकर ही दम लेंगे।इतना ज़बरदस्त संगठन है उनमें..!

*संगठित होकर देश के लोगों ने आजादी प्राप्त की।भगवान राम ने बन्दर,भालुओं की संगठित सेना के बल पर रावण पर विजय प्राप्त की।संगठन की शक्ति व संगठन के लाभों से तो सब परिचित ही हैं;तब एक हो जायें व अपने भाग्य का स्वयं निर्धारण करें।*

*सब जानते हैं कि एक बात को अकेला आदमी कहे तो जल्दी सुनवाई नहीं होती;लेकिन उसी बात को जब सब मिलकर कहते हैं तब जल्दी सुनवाई हो जाती है।एकता में कितना प्रभाव है? इसलिए अपनी,अपनी जाति व देश की सुरक्षा के लिए एक हो जायें,संगठन में सभी का उद्धार हो सकता है।*

*लोधी समाज संगठित कैसे हो; इसी उद्देश्य के निहित मूल अवधारणा (basic concept) का निर्धारण व क्रियान्वयन करने की अत्यन्त आवश्यकता है।आपने देखा है कि समाज का कोई भी संगठन हो या समाज के किसी भी संगठन का कोई पदाधिकारी या चाहे भारत सरकार में बड़ी से बड़ी सेवा का सबसे बड़ा अधिकारी ही क्यों न हो,लोधी समाज में पूर्ण स्वीकार्यता किसी की भी नहीं है।तब इनमें से कोई भी लोधी समाज की एकता का सूत्रधार कैसे हो सकता है? क्या लोधी समाज को परमपूज्य स्वामी ब्रह्मानन्द महाराज जी के अतिरिक्त अन्य कोई भी व्यक्तित्व पूर्णत: स्वीकार्य है?*

*प्राय: यह विवाद का बिषय बना रहता है कि हमारी लोधी जाति शूद्र वर्ण में है या क्षत्रिय वर्ण में।सच्चाई कुछ भी हो ;लेकिन हम तर्क के आधार पर क्षत्रिय होने का दम्भ तो करते रहते हैं;लेकिन सच यह है कि ब्राह्मण,ठाकुर या सवर्ण जाति के लोग कभी लोधियों को क्षत्रिय नहीं मानते हैं।*

*सिक्खघर्म के बारे में हम सब जानते हीं हैं कि गुरू नानकदेव द्वारा इस पन्थ की स्थापना हुई थी।आप सिक्ख पन्थ के लोगों को वर्ण व्यवस्था के अनुसार किस वर्ण में रखेंगे? गुरु नानकदेव से जुड़ने वाले ये सभी तो हिन्दू ही थे,उनमें कोई ब्राह्मण होगा,कोई क्षत्रिय होगा,कोई वैश्य होगा और कोई शूद्र;लेकिन गुरू नानकदेव से जुड़ने के बाद सभी सिक्ख हो गये, सबके वर्ण ख़त्म हो गये।अब सिक्ख पन्थ के लोग वर्ण व्यवस्था से अलग हैं।*
*ठीक ऐसे ही मानवरत्न त्यागमूर्ति स्वामी ब्रह्मानन्द महाराज जी की उच्च बिचारधारा से जुड़कर जाति से ग्रसित आपकी सारी हीनभावना (inferiority complex) ख़त्म हो जायेगी।लोधी समाज के लिए आपके पास यही सर्वोत्तम विकल्प है।इसलिए आगे बढ़ें और परमपूज्य स्वामी जी से जुड़ें।पूरे देश में संख्या के हिसाब से लोधी जाति के लोग डेढ़ करोड़ से ज्यादा ही होंगे।एकता के बिना आपका बजूद अब तक महत्वहीन ही तो रहा है;लेकिन जब स्वामी जी के माध्यम से आपस में जुड़ेंगे तभी आप शक्तिशाली बनेंगे।*

*इसलिए आप स्वयं भी अपने समाज के गौरव व महान संत परमपूज्य स्वामी ब्रह्मानन्द महाराज जी की उच्चतम बिचारधारा से जुड़ें व समाज को जोड़ने का पुनीत कार्य करें;क्योंकि  परमपूज्य स्वामी जी की बिचारधारा से जुड़ने के बाद सभी को शाँति व आनन्द की अनुभूति के साथ-साथ आपको सभी भौतिक व आध्यात्मिक शक्तियाँ भी उपलब्ध होंगी।परमपूज्य स्वामी जी महान संत थे।अवतारों व संतों की बिचारधारायें सदैव समाज का सर्वोत्तम मार्गदर्शन करती रहीं हैं।*

*इसलिए समाज को एकता के सूत्र में बाँधने व मार्गदर्शन करने के लिए वर्तमान में उपलब्ध यह सर्वोत्तम अवधारणा (concept) है।*

*मेरे सजातीय भाईयो एवं बहनों,सोये रहोगे कब तक?*
*जागो जगाओ सबको..!*

*संघे शक्ति: कलौयुगे।*

Saturday, January 18, 2020

कृषि_व_कृषि_से_संबंधित_विज्ञान_विषयों_के_अध्ययन_तथा_कैरियर



कृषि में पढ़ाई अत्याधिक प्रतिष्ठित प्रोफेशनल कोर्सेज में से माना जाता है और इस क्षेत्र में विद्या्थियों ने पढ़ाई कर देश की उन्नति में अभूतपूर्व योगदान दिया है। आज बढ़ती जनसंख्या को सुचारू रूप से खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराना देश के सामने बहुत बड़ी चुनौती बन रहा है।  साथ ही घटती व प्रदूषित होती कृषि योग्य मृदा दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुए है ऐसे में अगर ज्यादा कृषि विषयों से जुड़े विशेषज्ञ निकले ग जो देश के सर्वांगीण विकास में भारी योगदान दे सकते है। गांव-देहात के बच्चो के लिऐ यह कोर्सेज और भी आसान रहते है और वे बहुत अच्छा परफॉर्मेंस भी देते है। क्योंकि उन्हें बहुत सारी जानकारी पहले से ही होती है। आज ज्यादातर कृषि वैज्ञानिक/ विशेषज्ञ ग्रामीण क्षेत्र से है। जिन्होंने अतुलनीय कृषि उत्थान के कार्य किए है।

कृषि एक ऐसा विषय है अगर कठिन परिश्रम से कोर्सेज किये जाए तो सत प्रतिशत जब्स के चांस रहते है। इसके अलवा आज कृषि स्वरोजगार का अच्छा स्रोत बनता जा रहा है। कई नौकरी पेशा लोग आज नौकरी छोड़ कर आधुनिक कृषि करने आगे आ रहे है और कई गुना ज्यादा टर्नओवर प्रति वर्ष ले रहे है। अगर आधुनिक तरीके से लाभदायक फसलों की खेती की जाए तो अत्याधिक लाभ लिया जा सकता है। आज आए दिन हम सक्सेस फरामर्स स्टोरी पढ़ते है जो इसके लाभ के उदाहरण है। 

किन्तु कृषि जोत का आकार छोटा होना, नई तकनीकि का उपयोग न कर पाना, प्राकृतिक आपदाएं, समय पर खाद बीज का न मिलना, विप्रणन की सुचारू न होना, एक ही तरह की फसलों का ज्यादा क्षेत्र में बुवाई करना, फसलों का उचित मूल्य न मिलना, दलाल प्रथा का अंत न हो पाना और सरकार का उदासीन रवैया के चलते इस व्यवसाय में लोगो व छात्रों की रुचि घट रही है जो अत्याधिक चिंता का विषय है।

कृषि से जुड़े बहुत सारे आलेख हिंदी में मेरी वेबसाइट sciencoholic.com पर जा कर पढ़ सकते है। 
कुछ जॉब्स का विवरण नीचे दिया।

Regards
Dr Vishnu Rajput
M.Sc.Ag, PhD, PDF
Sfedu, Russia

कृषि क्षेत्र में जॉब्स।---

#Forest_Department ( B.Sc Ag)
👉District forest Officer (D.F.O)
👉Sub District forest officer (S.D.F.O.)
👉Ranger, Deputy Ranger, Forester
#Agriculture Department (Agriculture + Horticulture + Soil and water conservation)
B.Sc. (Ag.)
,👉Rural Agricultural extension Officer (R.A.E.O)
B.Sc. (Ag.)
👉Agricultural Development Officer (A.D.O.)
👉Senior Agricultural Development Officer (S.A.D.O.)
M.Sc. (Ag.)
👉Assistant Director of Agriculture (A.D.A)
M.Sc. (Ag.)
#R&D --M.Sc.(Ag.) + Ph.D / NET
👉Senior Research Fellow (S.R.F.)
👉Research Associate (R.A)
👉Technical Associate (T.A.)
👉 Scientist, Senior Scientist, Principal, Head, Director 
#Agricultural Education Department
👉 Assistant, Associate, Professor 
M.Sc.(Ag.) + Ph.D / NET
#Bank- B.Sc. (Ag.)
👉Agricultural Field Officer (A.O.)
👉Provisional Officer (P.O)
B.Sc. (Ag.)
👉Clerk
B.Sc. (Ag.)
👉Sericulture Department
Post
Qualification
#Silk Production Inspector (S.I)
B.Sc. (Ag.)
👉Assistant Director of Sericulture (A.D.S)
M.Sc. (Ag.)
,#Corn Exchange
Post
Qualification
Corn Exchange Inspector (C.E.I.)
B.Sc. (Ag.)
Food Corporation of India
Post
Qualification
Technical Assistant (T.A.)
B.Sc. (Ag.)
Technical Officer (T.O.)
B.Sc. (Ag.)
Assistant Branch Manager (A.B.M.)
M.Sc. (Ag.)
Branch Manager (B.M.)
M.Sc. (Ag.)
Public Service Commission and Union Service Commission
Post
Qualification
All Administrative Posts
B.Sc. (Ag.)
Seed Corporation of India
Post
Qualification
Technical Assistant (T.A.)
B.Sc. (Ag.)
Seed Inspector (S.I.)
B.Sc. (Ag.)
field Officer
B.Sc. (Ag.)
Sales Officer
M.Sc. (Ag.)
Branch Manager
M.Sc. (Ag.)
NFL, NAFED, IFFCO, KRIBHCO, NMF
Post
Qualification
Technical Assistant
B.Sc. (Ag.)
Sales Officer
B.Sc. (Ag.)
Quality Control Officer
M.Sc. (Ag.)
Branch Manager
M.Sc. (Ag.)
National/International Companies of pesticides agro Chemicals / fertilizer seeds / agricultural inst
Post
Qualification
Field Officer
B.Sc. (Ag.)
Field Manager (F.M)
M.Sc. (Ag.)
Sales Assistant (S.A.)
B.Sc. (Ag.)

गंगा नदी के तट पर आयोजित होगा दो दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर....

इस दो दिवसीय अधिवेशन में निम्न महत्वपूर्ण विषय होंगे - 

१. लक्ष्य स्वयं सेवकों का प्रशिक्षण
२. शिक्षा एवं रोजगार तथा कृषि से जुड़े विषय
३. कवि, साहित्यकारों एवं लेखकों का मंच
४ . ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के व्यावहारिक समाधान
५. प्रेम, बंधुत्व एवं सौहार्द को मजबूत करना
६. लघु उद्योग एवं स्वरोजगार के लिए पारस्परिक सहयोग
७. कौशल विकास एवं तकनीकी संवर्धन
८. संस्कार एवं शिष्टाचार तथा पारस्परिक सम्मान पर सत्र एवं प्रशिक्षण
९. स्वामी ब्रह्मानंद सहित समाज के सभी महापुरुषों के जीवन पर सत्र
१०. मृत्यु भोज जैसे सामाजिक कुरीतियों की समाप्ति के लिए उपाय एवं निवारण
११. वरिष्ठ समाजसेवियों का सम्मान

नोट- सभी  स्वयं सेवक निम्नलिखित वस्तुएं अपने साथ लेकर आएं - 

1. एक थाली, एक गिलास, एक चम्मच,एक कटोरी, एक लोटा
2. एक चादर( बैडशीट)
3.  कापी,कलम
4. छोटा शीशा कंघा,,तेल आदि
5. चप्पल ( स्लीपर)

प्रशिक्षण एवं अधिवेशन में आने वाले सभी स्वयं सेवकों के लिए भोजन  एवं रात्रि विश्राम के लिए सभी व्यवस्थाएं निशुल्क रहेंगी। स्वयं सेवक अपनी सुविधानुसार 20,21 मार्च को शिविर में पहुंच सकते हैं।

भारत के विभिन्न भागों एवं विदेशों से आने वाले सभी महानुभावों के लिए रूट- 

आगरा, दिल्ली, अलीगढ़,बरेली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, लखनऊ, बदायूं आदि से सीधे बस द्वारा डिबाई पहुंचा जा सकता है। अलीगढ़ से डिबाई की दूरी 50 किमी है। अलीगढ़, बरेली आदि से ट्रेन द्वारा भी सीधे राजघाट पहुंचा जा सकता है। डिबाई से राजघाट के लिए निशुल्क बस सेवा उपलब्ध रहेगी।

वालंटियर के नाम एवं नं शीघ्र ही जारी कर दिए जाएंगे। 

( राजघाट गंगा नदी के तट पर स्थित बहुत ही सुरम्य स्थान है , प्रशिक्षण में आने वाले सभी स्वयं सेवक सुबह-शाम गंगा की पावन छठा का लाभ ले सकते हैं।)

Thursday, January 16, 2020

डा बद्रीविशाल जी महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग उ.प्र.

आज डा बद्री विशाल जी का दिल्ली आना हुआ, अपने आफिस में उनका स्वागत किया। उनसे समाज के विकास पर व्यापक चर्चा हुई, साथ ही उन्हें महानिदेशक, स्वास्थ्य विभाग उ.प्र. बनने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

विशेष प्रशिक्षण के लिए दिल्ली आए सिविल जज सीनियर डिवीजन श्री यशपाल सिंह लोधी बरेली एवं उनके साथी जज,साथ में डा बद्रीविशाल जी महानिदेशक स्वास्थ्य विभाग उ.प्र., एवं श्री पी के राजपूत जी डायरेक्टर MSME नई दिल्ली।

मुखर्जी नगर, दिल्ली में रहकर,IAS की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के साथ , आगामी परीक्षा के लिए परिचर्चा...

मुखर्जी नगर, दिल्ली में रहकर,IAS की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के साथ , आगामी परीक्षा के लिए परिचर्चा।

लक्ष्य फिरोजाबाद प्रोग्राम कि एक झलक अमरपाल सर के साथ।

लक्ष्य फिरोजाबाद में सांस्कृतिक और मनमोहक  प्रोग्राम करने वाले युवाओं को माननीय राष्ट्रीय संयोजक लक्ष्य आदरणीय अमरपाल सिंह लोधी (IRS)  ने सम्मानित किया और उनके उज्जवल भविष्य  के लिए प्रोत्शाहित किया।



अंधविश्वास क्या है, जाने अमर पाल सिंह लोधी जी की कलम से...

ॐ श्री ब्रह्मानंदाय नमः

1.यदि बिल्ली अपका रास्ता काट जाए तो ये कोई अपशकुन नहीं है बल्कि अंधविश्वास है क्योंकि बिल्ली एक जीवित प्राणी है जो चलती फिरती भागती दौड़ती है, हो सकता है वो कहीं जा रही हो।


2. यदि छत पर कौआ चिल्ला रहा है,तो वो हमारा पितर नहीं है,वो जीवित प्राणी है,हो सकता है उसे भूख प्यास लगी हो। यदि हम उसे पितर मानते हैं तो यह अंधविश्वास है।

3. हम किसी को पार्टी/ भोज आदि तब खिलाना पसंद करते हैं जब हमें कोई खुशी मिली हो। किसी परिजन की मृत्यु पर घोर दुःख में संतृप्त परिवार द्वारा मृत्यु भोज दिवंगत आत्मा के प्रति असंवेदना एवं पाखंड को दर्शाता है।

ऐसे ही अनेक अंधविश्वास, पाखंड, सामाजिक कुरीतियां समाज में व्याप्त हैं, जो किसी भी समाज की प्रगति में बाधक हैं। जो समाज अपने आसपास विद्यमान इन बाधाओं को  हटा देता है,वह शिक्षित, समर्थ एवं सशक्त समाज बन जाता है।

डिबाई प्रोग्राम के दौरान जाते समय बुलंदशहर, शिकारपुर में जोरदार स्वागत


लक्ष्य के राष्ट्रीय संजोजक और केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री के अतिरिक्त निजी सचिव श्री अमर पाल सिंह लोधी ( आईआरएस) के डिबाई में होने वाली स्वामी ब्रम्हानंद प्रतिभा खोज परीक्षा और कैरियर गाइडेंस कार्यक्रम में जाते समय सामाजिक व्यक्तियों और लक्ष्य स्वयंसेवकों द्वारा बुलंदशहर, शिकारपुर और डिबाई में किया गया जोरदार स्वागत , संयोजक जी का समाज के प्रति त्याग, समाज के युवाओं के लिए प्यार और सभी के लिए सम्मान संयोजक जी के जीवन में चार चांद लगाता है और इसी का परिणाम है कि लोग संयोजक जी के आने की खबर सुनते ही स्वागत करने के लिए सड़कों पर आ जाते हैं जिसका बुलंदशहर जनपद में आज एक उदाहरण देखने को मिला..

राष्ट्रीय संयोजक जी सीधे बच्चों से रूबरू होते हुए..



डिबाई में कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर राष्ट्रीय संयोजक लक्ष्य और अतिरिक्त निजी सचिव केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी ने छात्रों के साथ शिक्षा, रोजगार और सामाजिक चेतना पर सीधा संवाद किया और भविष्य में छात्रों को अपने कैरियर चुनाव के लिए मार्गदर्शक दिया और बड़े से बड़े मुकाम को हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया और समाज के वरिष्ठ लोगों के साथ समाज को तीव्र गति से आगे ले जाने के लिए वार्तालाप करते हुए समाज में व्याप्त पाखंड अंधविश्वास आदि जैसे हानिकारक तत्व से दूर रहने के लिए लोगों को समझाया और समाज के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीब बेरोजगार और मूलभूत सुविधाओं से वंचित लोगों की हर संभव मदद के लिए आश्वासन दिया और यह भी कहा कि समाज का कोई भी बच्चा पैसे के अभाव के कारण उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा जो भी बच्चा पढ़ना चाहता है लक्ष्य टीम उसका पूरा साथ देगी और उसे भविष्य को उज्जवल बनाएगी युवाओं का उज्जवल भविष्य ही समाज का उज्जवल भविष्य है समाज के युवाओं को आगे आकर नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित किया... आदरणीय संयोजक जी ने शिक्षित संगठित और सशक्त समाज निर्माण पर जोर दिया........

Monday, January 13, 2020

शोषित समाज के उत्थान के लिए आजीवन प्रयासरत रहे ज्योतिबा फुले

महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सातारा जिले में माली जाति के एक परिवार में हुआ था। वे एक महान विचारक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक, लेखक, दार्शिनक, संपादक और क्रांतिकारी थे।


भारतीय सामाजिक क्रांति के जनक कहे जाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सातारा जिले में माली जाति के एक परिवार में हुआ था। वे एक महान विचारक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक, लेखक, दार्शिनक, संपादक और क्रांतिकारी थे। उन्होंने जीवन भर निम्न जाति, महिलाओं और दलितों के उद्धार के लिए कार्य किया। इस कार्य में उनकी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले ने भी पूरा योगदान दिया।

महात्मा फुले का बचपन अनेक कठिनाइयों में बीता। वे महज 9 माह के थे जब उनकी मां का देहांत हो गया। आर्थिक तंगी के कारण खेतों में पिता का हाथ बंटाने के लिए उन्हें छोटी उम्र में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लेकिन पड़ोसियों ने उनकी प्रतिभा का पहचाना और उनके कहने पर पिता ने उन्हें स्कॉटिश मिशन्स हाई स्कूल में दाखिला करा दिया। मात्र 12 वर्ष की उम्र में उनका विवाह सावित्रीबाई फुले से हो गया।
ज्योतिबा के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ वर्ष 1848 में आया जब वे अपने एक ब्राह्मण मित्र की शादी में हिस्सा लेने के लिए गए। शादी में दूल्हे के रिश्तेदारों ने निम्न जाति का होने के कारण उनका अपमान किया। इसके बाद उन्होंने तय कर लिया कि वे सामाजिक असमानता को उखाड़ फेंकने की दिशा में कार्य करेंगे क्योंकि जब तक समाज में स्त्रियों और निम्न जाति वालों का उत्थान नहीं होगा जब तक समाज का विकास असंभव है। 1791 में थॉमस पैन की किताब 'राइट्स ऑफ मैन' ने उन्हें बहुत प्रभावित किया।
समाजोत्थान के अपने मिशन पर कार्य करते हुए ज्योतिबा ने 24 सितंबर 1873 को अपने अनुयायियों के साथ 'सत्यशोधक समाज' नामक संस्था का निर्माण किया। वे स्वयं इसके अध्यक्ष थे और सावित्रीबाई फुले महिला विभाग की प्रमुख। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य शूद्रों और अति शूद्रों को उच्च जातियों के शोषण से मुक्त कराना था। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने वेदों को ईश्वर रचित और पवित्र मानने से इंकार कर दिया। उनका तर्क था कि यदि ईश्वर एक है और उसी ने सब मनुष्यों को बनाया है तो उसने केवल संस्कृत भाषा में ही वेदों की रचना क्यों की? उन्होंने इन्हें ब्राह्मणों द्वारा अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए लिखी गई पुस्तकें कहा। 
उस समय ऐसा करने की हिम्मत करने वाले वे पहले समाजशास्त्री और मानवतावादी थे। लेकिन इसके बावजूद वे आस्तिक बने रहे। उन्होंने मूर्ति पूजा का भी विरोध किया और चतुर्वर्णीय जाति व्यवस्था को ठुकरा दिया। इस संस्था ने समाज में तर्कसंगत विचारों को फैलाया और शैक्षणिक और धार्मिक नेताओं के रूप में ब्राह्मण वर्ग को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। सत्यशोधक समाज के आंदोलन में इसके मुखपत्र दीनबंधु प्रकाशन ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोल्हापुर के शासक शाहू महाराज ने इस संस्था को भरपूर वित्तीय और नैतिक समर्थन प्रदान किया। 
महात्मा फुले ने दलितों पर लगे अछूत के लांछन को धोने और उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाने के भी प्रयत्न किए। इसी दिशा में उन्होंने दलितों को अपने घर के कुंए को प्रयोग करने की अनुमति दे दी। शूद्रों और महिलाओं में अंधविश्वास के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक और सामाजिक विकलांगता को दूर करने के लिए भी उन्होंने आंदोलन चलाया। उनका मानना था कि यदि आजादी, समानता, मानवता, आर्थिक न्याय, शोषणरहित मूल्यों और भाईचारे पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना है तो असमान और शोषक समाज को उखाड़ फेंकना होगा।
ज्योतिबा के कार्य में उनकी पत्नी ने बराबर का योगदान दिया। यद्यपि वे पढ़ी−लिखी नहीं थीं और शादी के बाद ज्योतिबा ने ही उन्हें पढ़ना−लिखना सिखाया। किन्तु इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उस समय लड़कियों की दशा अत्यंत शोचनीय थी और उन्हें पढ़ने लिखने की अनुमति नहीं थी। इस रीति को तोड़ने के लिए ज्योतिबा और सावित्रीबाई ने 1848 में लड़कियों के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। यह भारत में लड़कियों के लिए खुलने वाला पहला विद्यालय था। 
सावित्रीबाई फुले स्वयं इस स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने के लिए जाती थीं। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था। उन्हें लोगों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्होंने लोगों द्वारा फेंके जाने वाले पत्थरों की मार भी झेली। परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद ज्योतिबा ने लड़कियों के लिए दो और स्कूल खोले और एक स्कूल निम्न जाति के बच्चों के लिए खोला। इसके साथ ही विधवाओं की शोचनीय दशा को देखते हुए उन्होंने विधवा पुनर्विवाह की भी शुरुआत की और 1854 में विधवाओं के लिए आश्रम भी बनाया। साथ ही उन्होंने नवजात शिशुओं के लिए भी आश्रम खोला ताकि कन्या शिशु हत्या को रोका जा सके। 28 नवम्बर 1890 को महात्मा ज्योतिबा फुले की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने सत्य शोधक समाज को दूर−दूर तक पहुंचाने का कार्य किया।
महात्मा फुले ने समाज कार्य करते हुए अनेक पुस्तकें भी लिखीं। ये सभी पुस्तकें उनके कार्य को गति प्रदान करती हैं। इनमें 'तृतीय रत्न', 'ब्रह्माणंचे कसाब', 'इशारा', 'पोवाडा−छत्रपति शिवाजी भोंसले यांचा', अस्पृश्यांची कैफि़यत' इत्यादि प्रमुख हैं। ज्योतिबा फुले ने अपने कार्य से अनेक लोगों को प्रभावित किया। यह प्रभाव उनकी मृत्यु पर्यंत भी बना रहा। डॉ0 भीमराव अंबेडकर भी उनसे काफी प्रभावित हुए और महात्मा की ही राह पर चलते हुए उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए जिनका प्रत्यक्ष परिणाम आज देखा जा सकता है। 
आज भी लोग ज्योतिबा के कार्यों से प्रभावित हो रहे हैं। ज्योतिबा ने 'गुलामगिरी'− नाम की भी एक पुस्तक लिखी। वर्ष 1873 में प्रकाशित यह पुस्तक आज भी समाज में हो रहे भेदभाव पर खरी उतरती है। हाल ही में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने मुंबई में बराक ओबामा को यह पुस्तक भेंट स्वरूप दी और उन्हें इसका सार बताया। इससे ओबामा भी प्रभावित दिखे और भारत से अनमोल भेंट कहकर इस किताब को स्वीकार किया।